बुधवार, 31 मार्च 2021

मेरे काले बाल बहुत लहराते थे

      




      क्या कम विधवा होने पर एक नारी अपने बालों का मुंडन करवा देना चाहिए ? केवल सामाजिक रीति-रिवाजों के चलते उन्हें अपने बालों का भी त्याग कर देना चाहिए । क्या सामाजिक नियम केवल स्त्रियों के लिए ही बने हैं । 



         इस आधुनिक युग में भी भारत में अभी भी ऐसे कई राज्य हैं, जहां यह कुप्रथा प्रचलित है । मैं आप सबसे से पूछती हूं मित्रों कि यह प्रथा बंद होनी चाहिए कि नहीं । जो एक औरत के जीवन जीने का मौलिक अधिकार ही छीन ले । 

आज इस विषय पर मैंने एक कविता लिखी है

उम्मीद करती हूं आप सबको जरूर पसंद आएगी 


मेरे लम्बे सुंदर काले काले केश सबको बहुत भाते हैं

जी मचलता है सबका इन्हें छूने को हवा में जब ये लहरातें हैं

मैं इतराती अपने सुंदर केशों पर जब ये बलखाते हैं

गर्वहोता है खुद पर जब कवि भी इन्हें बादल कहतें हैं

पर जब मैं हो जाती हूं खाली हाथ, बिना चूड़ी बिना सुहाग

क्यूं मेरे केश कटवाने मुझ पर सब जोर लगातें हैं

अब क्या मेरे केश बादल से नहीं रहे अब क्यूं नहीं किसी को भाते हैं

क्या यह मेरा अपराध है कि मैं सुहागन नहीं रही

क्या मुझे अब स्वच्छंद जीवन जीने का अधिकार नहीं रहा

क्या अब मैं अपने केशों पर इतरा नहीं सकती

लहरा नहीं सकती अपने केशों को खुली हवा में

मेरे लम्बे सुंदर काले काले केश अब सबको बहुत चुभते 

हैं

कैसी औरत है दिन रात ये उलाहने अब सब मुझको देतें हैं

मेरे लम्बे सुंदर काले काले केश सबको बहुत भाते थे






मंगलवार, 30 मार्च 2021

हाँ मैं भी हूँ एक बेटी की माँ

     क्या बेटी की मां होना गुनाह है दोस्तों बेटी के साथ कुछ गलत हो गया तो सब उसकी मां की दी हुई परवरिश को ही गलत कहेंगे । समाज में क्या गलत हो रहा है ये नहीं देखेंगे । मैंने कुछ लिखा है इस बारे में पढ़कर कमेंट्स ज़रूर कीजियेगा 🙏



हां मैं भी हूं एक बेटी की मां 👧
अब मैं भी जरा सी आहट पर डरने लगी हूं 😱

हर किसी को शक की नज़र से देखने लगी हूं
पड़ोस में खेलने जाती है तब इधर उधर झांकने लगी हूं

स्कूल के वैन वाले से सौ तरह के सवाल पूछने लगी हूं
कब आएगी मेरी बेटी सुरक्षित घर राह तकने लगी हूं

चाकलेट लेने दुकान अब अकेले नहीं भेजती साथ मैं भी जाने लगी हूं


उसके खेलने-कूदने पर भी मैं पाबंदी लगाने लगी हूं
किसी भी अंजान से बात मत करना ये अब उसे समझाने लगी हूं

स्कूल के पिकनिक में भेजने से अब कतराने लगी हूं
कभी थी ये सोने की चिड़िया अब रोज एक अबला को जलता देख रोने लगी हूं 😰

कभी तो वो सुबह आएगी जब हमें असली आज़ादी मिलेगी ये रोज सोचने लगी हूं

क्यूं मेरी झोली में बिटिया आई अपनी किस्मत को अब कोसने लगी हूं

उसको भविष्य में आने वाली मुश्किलों से 
लड़ने के लिए अब तैयार करने लगी हूं



English translation :-

Is it a crime to be the mother of a daughter? Friends, if something went wrong with the daughter, everyone would call her mother's upbringing wrong. You will not see what is going wrong in the society. I have written something and will definitely comment after reading about this, where I am also the mother of a daughter.
 Now I am scared even at the slightest sound.

 I look at everyone with suspicion
 When I go to play in the neighborhood, I start peeping around

 I started asking hundred kinds of questions from the school van
 When will my daughter come to the safe house

 Shop to pick chocolate, now I do not send it alone; I have also started going
 I have started banning her even when I play and play

 Do not talk to any unknown, now I have started explaining it to him
 I am now clipping after sending it to the school picnic

 Once upon a time, this golden bird was crying every day watching an abla burn.
 Sometimes she will come in the morning when we will get real freedom, I started thinking every day

 Why I got a girl in my bag, now I am cursing my luck
 I am now preparing him to fight the difficulties in the future




Today's Indian Women


          क्या मेरा अपराध यही है कि मैं एक नारी हूं ? वो भी आज की नारी जो अपना सही गलत सब जानती है । तुम पुरुष हो तो क्या तुम्हें समाज में सिर उठा के चलने का लाइसेंस मिल गया और कुछ गलत करने का भी ? भले ही हमारा समाज नारी और पुरुष बराबर हैं का कितना भी नारा लगा ले, लेकिन हमारे समाज की कड़वी सच्चाई तो यही है कि आज भी एक नारी को पुरुष के फैसले के आगे झुकना ही पड़ेगा ।

        पर अब ऐसा नहीं होगा । एक नारी के लिए जब अपने सम्मान और स्वाभिमान के रक्षा करने की बात आती है तब वो काली का भी रूप धारण कर सकती है । तुम पुरुष होकर भी एक नारी के स्वाभिमान की रक्षा नहीं कर पाए तो तुम्हें धिक्कार है तुम्हारे पुरुष होने पर ।

         आज की नारी को अपने सम्मान और स्वाभिमान की रक्षा करना अच्छे से आता है । वो जानती है अपने अधिकारों के बारे में और अकेली तुम्हारे इस समाज से लड़कर भी जीत सकती है । जब एक पुरुष कोई निर्णय लेता है तो वो चाहता है कि उसके निर्णय में नारी साथ दे और देती भी है । पर वही नारी जब अपने परिवार और समाज के लिए कोई निर्णय लेती है तब वो भी चाहती है कि पुरूष उसका साथ दे ।

          तुम कितना भी नारी को अपने गलत निर्णय के आगे झुकाने की कोशिश कर लो । वो नहीं झुकने वाली अब । अब वो लड़ेगी तुम्हारे खोखले आदर्शों के विरुद्ध और जीत भी उसी की होगी । अपने निर्णय पर अटल रहेगी और किसी भी भावनात्मक रूप से कमज़ोर नहीं पड़ेगी ।

          पर नहीं तुम तो पुरुष हो ना तुम एक नारी के निर्णय के आगे कैसे झुक सकते हो । तुम्हारे आत्मसम्मान को ठेस जो लग जाएगी । और समाज तुम्हें एक नारी का गुलाम कहेगा तो तुम सह नहीं पाओगे है ना ...?  तुम भले ही झूठ का साथ दो और झूठ का सहारा लो एक नारी से जीतने के लिए पर अंत में जीत एक नारी की सच्चाई की ही होगी है ।

        हां हूं मैं आज की नारी जो सच्चाई का साथ देती है और वो सही राह पर चलकर जीत भी जाएगी और तुम झूठ के गलत रास्ते पर चलकर देखना एक दिन हार जाओगे आज की नारी से । अंत में जीत सिर्फ सच्चाई की ही होगी । 

स्वतंत्रता के बाद नारीवाद केवल नारा मात्र

  क्या स्वतंत्रता के 75 वर्ष बाद भी नारी सही मायनों में स्वतंत्र हुई है । क्या अभी भी कई क्षेत्रों में, कार्यालयों में और घरों में नारी स्वत...